चमत्कारी मन

Amit Prakash Gupta
4 min readMay 9, 2020

जानिए कैसे बना है मानवी मन और यह कैसे निश्चित करता है की आप कितने सफ़ल और ख़ुश हैं|

शारीरिक रूप से देखें तो, दिमाग के दो भाग हैं :
नेओकोर्तेस — आप क्या करते हैं, इसकी निश्चिचता यह महाशय करते हैं|
लिंबिक — आप क्यों करते हैं और कैसे, यह आपका लिंबिक दिमाग करता है |

मानव का दिमाग तार्किक तौर पर दो भागों में बांटा जा सकता है — सचेत और अचेतन| सचेत मन निस्पक्षतावाद और अचेतन मन भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है | अचेतन मन काम में तब आता है जब सचेतन मन आराम कर रहा हो या निष्क्रिय हो — जैसे निद्रा और साधना | अगर आप ऐसा सोचें की आपको शारीरिक रूप से स्वस्थ होना है और आपके अचेतन मन को सन्देश मिल जाये तो आप टाइम पर अपने आप उठने लगेंगे , ठीक चीज़ें खाने लगेंगे|

एक और तरीका है दोनों को समझने का — हम और आप आज अपनी जिंदगी में जो भी निर्णय ले रहे हैं वो केवल आज पर निर्धारित नहीं है परन्तु हमने अपने अतीत में क्या देखा है उसपे निर्धारित है | जाने अनजाने हम अपने अचेतन मन को अपने जीवन के हर पल प्रशिक्षित करते है — आपने एक फिल्म देखी जिसमे एक ख़राब पुलिस अफसर था, किसी ने आपको अपने पुलिस के साथ अपना ख़राब अनुभव आपके साथ साझा किया ….. आपका अचेतन मन सब कुछ सुन रहा है| अगली बार आप एक पुलिस वाले को देखते हो , बिना उसके बारे में कुछ जाने आपको ऐसा लगेगा जैसे वह दोषी है , वो अच्छा आदमी नहीं है | लोग बोलते हैं अन्तरात्मा की आवाज़ है , वो अन्तरात्मा और कुछ नहीं बस आपका प्रशिक्षण है | हमारा सच और कुछ नहीं बस इस दुनिया के बारे में हमारी मान्यताएँ हैं और यही आगे निर्धारित करते हैं की आप किसके साथ कैसा बर्ताव करेंगे , आप अपनी जिंदगी में कौन सा फ़ैसला कैसे करेंगे |

दो उदाहरण हैं

१. बहुत पहले लोगों को ऐसा लगता था की दुनिया चपटी है और उसके कारण लोग सफ़र से डरते थे , डर था कहीं सफर करना शुरु करें तो दुनिया के अंतिम कोने पर जाकर बाहर न गिर जाएँ | जब यह तय जो गया की दुनिया गोल है और कोई गिरेगा नहीं तो सफर आरम्भ हुआ , सच बदला , व्यापार भी बदला |

२. मुन्नाभाई एम् बी बी एस फिल्म याद तो होगी , गाँधी जी जब संजय दत्त के सामने आते हैं तो उसी प्रश्न का उत्तर देते हैं जो संजय दत्त ने पढ़ा हुआ है और अपने अचेतन मन को प्रशिक्षित किया है |

क्या करें इस चमत्कारी मन के साथ

- अगली बार आप किसी के साथ जैसा बर्ताव कर रहे हैं या आप कैसा सोच रहे हैं … इस्पे ध्यान दें | आप अपने पूर्वाग्रहों को और मान्यताओं को पहचान पायेंगे और जब पहचान पायें तो उसमे बदलाव करना आसान होगा |

- मैं समुन्दर के किनारे दौड़ने जाता हूँ, मैं दौड़ने के बात व्यायाम कर रहा था वहीँ एक कोने में | पुलिस आयी और उन्होंने मुझे बोला की यह भाग प्रतिबंधित है आप आपने घर का पता , पासपोर्ट नंबर दीजिये | मैंने सब दिया, अपनी गलती को माना उनका धन्यवाद किया और चलता बना | अगर मेरी मानसिक स्थिति आज से ४-५ साल पहले की होती तो मैंने चिंता कर करके बीमार पड़ जाना था | जो हुआ मैंने उसका मानसिक विश्लेषण किया और मन को बोला और बस वो अध्याय वहीँ ख़तम | मैंने उसके बारे में बहुत नहीं सोचा क्यूंकि जो होना था वो हो चूका था और आगे मुझे क्या नहीं करना था उसका मानसिक निर्देश मैं दे चूका था | आगे कोई कार्रवाई पुलिस ने नहीं की , यह मेरी सकारात्मक सोच और व्यवहार का नतीजा था | ऐसी स्थिति में सिंगापूर में एक चेतवानी मिलना लाज़िमी है |

- अगर आप चेतन मन से अचेतन मन को कोई निर्देश प्रसारित करते हैं तो वह दानवी रूप जैसा बड़ा हो जाता है और आपके जीवन को चलाने वाले चालक के मस्तिष्क का हिस्सा भी | कोई नकारात्मक सोच अगली बार आये तो उसे उसी क्षण दूर भगायें |

- अगर आप किसी रोग से मुक्ति पाना चाहते हैं तो अपने आप को रोग मुक्त देखना प्रारंभ करें और आपका चेतन / अचेतन मन दोनों आपकी मदद करेंगे| सारी दवाइयाँ विश्वास के साथ मिश्रित होती हैं , विश्वास नहीं तो दवाई का असर नहीं. |

- आपके शब्द अकेले आपके मन को परिवर्तित करने को काफी नहीं हैं आपकी धारणाएँ , आपका विश्वास आपकी मान्यताएं बदलनी चाहिए | आपको चाहिए की कोई आपके साथ अच्छा बर्ताव नहीं करता वो हो जायेगा | पहले आपको परिवर्तित होना होगा और आपकी सोच को , चीज़ें वहीं से शुरू होती है | जब आप ऐसा सोच लेंगे की वो व्यक्ति परिवर्तित हो सकता है , आप उसे ज्यादा ध्यान से सुनेंगे — जो वो बोल रहा है वो भी और जो उसका व्यव्हार बोल रहा है वो भी | और आप अपनी प्रतिक्रिया को भी परिवर्तित कर पाएंगे |

- अपने शब्दों पर ध्यान दें जो आप नियमित जीवन में उपयोग करते हैं | अगर आपको दर्द है और आप ऐसा बोलते हैं की यह दर्द तो लगता है अब मेरा पीछा कभी नहीं छोड़ेगा तो ऐसा ही होगा | अपनी वाणी को परिवर्तित करें , सोच बदलें वो अपने आप बदलेगा | आप जिन चीज़ों को दोहराते हैं जिनको प्यार करते हैं , वही आपके जीवन में आती है | ईर्ष्या और बुराई यह दोनों एक सफल जीवन जीने में बाधा है |

- डर को मन बनाता है | इसको जितने के लिए एक बार अच्छे से सोचें आगे पीछे, स्वीकार करें और सकारात्मक सोचें

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